Saturday 16 May 2020

wave motion तरंग गति

WAVE MOTION (तरंग गति)

 आवर्त गति 
जब कोई वस्तु   एक निश्चित समय में एक ही पथ  पर बार-बार अपनी गति को दोहराती   है तो उसकी गति को आवर्त गति कहते हैं | 

उदाहरण के लिए पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक निश्चित कक्षा में चक्कर लगाती है अतः  पृथ्वी की यह गति आवर्त गति कहलाती है | 

आवर्तकाल वह निश्चित समय जिसके बाद आवर्त गति करती हुई वस्तु अपनी गति को दोहराती है आवर्तकाल कहते हैं |  

जैसे  पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर आवर्तकाल 1 वर्ष,  घड़ी की मिनट की सुई का आवर्तकाल 1 घंटा, घड़ी की सेकंड की सुई का आवर्तकाल 1 मिनट है, घंटे की सुई का आवर्तकाल 12 घंटे है| 

दोलनी गति दोलनी गति आवर्त गति का ही एक विशेष रूप है इसमें वस्तु किसी निश्चित बिंदु के इधर उधर एक ही पथ  पर गति करती है | 
दोलनी गति का अच्छा उदाहरण सरल लोलक की गतियां,  स्प्रिंग  से लटके पिंड की ऊर्ध्वाधर गति भी दोलनी गति होती है | 

विस्थापन किसी समय, साम्य  स्थित से गोले की दूरी उस समय गोले का विस्थापन कहलाती है विस्थापन का अधिकतम मान आयाम के समान होता है अर्थात अधिकतम विस्थापन को ही आयाम  कहते हैं | 

आवृत्ति कंपन करने वाली कोई वस्तु 1 सेकंड में जितने कंपन करती है वह उसकी आवृत्ति कहलाती है | इसे n  से प्रदर्शित करते हैं इसका मात्रक कंपन प्रति सेकंड या हर्ट्ज़  होता है | 

सरल आवर्त गति (simple  hormonic motion )  सरल आवर्त गति  दोलनी गति का एक सरलतम रूप है 
इसके 3 लक्षण होते हैं 
१- यह गति एक स्थिर बिंदु के इधर-उधर सरल रेखा में होती है 
२- गतिशील वस्तु का त्वरण  सदैव स्थिर बिंदु से वस्तु के विस्थापन के समानुपाती होता है 
३- त्वरण की दिशा सदैव स्थिर बिंदु की ओर होती है 

आयाम विस्थापन के अधिकतम मान को आयाम कहते हैं इसे a  प्रदर्शित करते हैं यह धनात्मक एवं ऋणआत्मक दोनों हो सकता है | 

सरल आवर्त गति करते कण का वेग एवं त्वरण :  साम्य  स्थिति (शून्य विस्थापन की स्थिति) में वेग  का अधिकतम मान होता है तथा त्वरण शून्य  होता है इसके विपरीत अधिकतम विस्थापन की स्थिति में वेग शून्य  होता है और त्वरण का मान अधिकतम होता है | 

यांत्रिक गति जब कोई वस्तु किसी माध्यम में कंपन करती है तो वह माध्यम कणों को जो उसके  समीप होते हैं गतिमान कर देती है यह कण  अपने आसपास वाले कणों को गतिमान कर देते हैं इस प्रकार माध्यम में एक विक्षोभ  उत्पन्न हो जाता है विक्षोभ  के आगे बढ़ने की प्रक्रिया को तरंग गति कहते हैं तथा इन तरंगों को यांत्रिक गति कहते हैं 
                तरंग गति में माध्यम के कारण अपने ही स्थान पर अपनी साम्य  स्थिति के दोनों और कंपन करते हैं तरंग के रूप से ऊर्जा एक स्थान से दूसरे स्थान पर संचारित होती है यद्यपि कणों  में स्थानांतरण नहीं होता है 
ध्वनि तरंगें यांत्रिक तरंगों का उदाहरण है  | 
यांत्रिक तरंगें अनुदैर्ध्य तथा अनुप्रस्थ दो प्रकार की होती हैं 

तरंगों के प्रकार  तरंग दो प्रकार की होती हैं : 

अनुप्रस्थ तरंग वह तरंगे जिनमें माध्यम के का तरंग के चलने की दिशा के लंबवत कंपन करते हैं अनुप्रस्थ तरंग कहते हैं इन तरंगों के उठे हुए भाग को शृंग  तथा दबे हुए भाग को गर्त  कहते हैं | 
जैसे   जल में पत्थर फेंकते हैं तो जल की सतह पर उत्पन्न तरंगे अनुप्रस्थ तरंगे होती हैं , सितार के तार में उत्पन्न कम्पनों  में अनुप्रस्थ तरंग पैदा होती हैं अनुप्रस्थ तरंग ठोस तथा द्रव के तल पर उत्पन्न होती हैं उनके भीतर नहीं तरंगे गैसों में उत्पन्न नहीं हो सकती हैं 

अनुदैर्ध्य तरंगे वे तरंगे जिनमें माध्यम के कण  तरंग की दिशा के समांतर कंपन करते हैं अनुदैर्ध्य तरंगे कहलाती हैं यह तरंगे संपीड़न और विरलन  के रूप में आगे बढ़ती हैं हवा या किसी अन्य माध्यम ठोस, द्रव, गैस में ध्वनि तरंगे अनुदैर्ध्य तरंगे होती हैं | 

स्वरित्र द्विभुज से उत्पन्न तरंगे अनुदैर्ध्य तरंगे होती है 

ध्वनि तरंगों से कुछ बिंदुओं पर संपीडन तथा कुछ पर विरलन  उत्पन्न होता है 

यह संपीडन और विरलन हवा में तरंग की दिशा में आगे बढ़ते हैं 
संपीडन वाले बिंदुओं पर हवा का घनत्व और दाब  सामान्य की अपेक्षा अधिक होते हैं 

जबकि विरलन  वाले बिंदुओं पर घनत्व और दाब  कम होते हैं |  

तरंगदैर्ध्य माध्यम के किसी कण के एक कंपन के समय में तरंग जितनी दूरी तय करती है उसे तरंगदैर्ध्य कहते हैं | 
अनुप्रस्थ तरंग में किन्हीं दो निकटवर्ती तरंग अथवा गर्त के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य के बराबर होती है | 
अनुदैर्ध्य तरंग में किन्हीं दो निकटवर्ती अधिकतम संपीड़न अथवा विरलन वाले कणों के बीच की दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं | 

तरंग चाल कोई तरंग 1 सेकंड में कितनी दूरी तय करती है उसे तरंग चाल कहते हैं 
तरंग चाल = आवृत्ति * तरंगदैर्ध्य

यांत्रिक तरंगों की आवृत्ति परिसर 
 ध्वनि अथवा श्रव्य तरंगों की आवृत्ति परिसर २० से 20000 हर्ट्ज़  होती है यह तरंगे हमारे कानों के द्वारा सुनी जा सकती हैं 

 20000 हर्ट्ज़ से अधिक आवृत्ति  वाली तरंगों को पराश्रव्य तरंग कहते हैं क्वार्ट्ज क्रिस्टल के कम्पंनों  से तथा गाल्टन  की सीटी से इस प्रकार की पराश्रव्य तरंगें उत्पन्न की जा सकती हैं यह तरंगे कुत्तों तथा कुछ अन्य पक्षियों जैसे चमगादड़ के द्वारा सुनी  जा सकती हैं इसका कारण इनके कान की विशेष बनावट है | 
चिकित्सा विज्ञान में उद्योगों में और संकेत भेजने के लिए इन तरंगों का प्रयोग किया जाता है  | 

20 हर्ट्ज़  से कम आवृत्ति वाली तरंगों को अवश्रव्य तरंग कहते हैं | भूचाल के समय पृथ्वी से उत्पन्न होने वाली तरंगें इसी का उदाहरण है

स्पंद अल्पकालीन तरंगों के संचरण में माध्यम कुछ समय के लिए कम्पित  होकर पुनः अपनी संतुलित अवस्था में आ जाता है इस प्रकार की अल्पकालीन तरंगों को स्पंद कहते हैं 

तरंगों का परावर्तन तथा अपवर्तन जब कोई तरंग एक माध्यम से चलकर दूसरे माध्यम की सतह पर टकराती है तो उसका कुछ भाग पहले माध्यम में ही लौट आता है इसे तरंगों का परावर्तन कहते हैं|  
तरंग का कुछ भाग दूसरे माध्यम में संचारित  हो जाता है तथा संचरण की दिशा में भी परिवर्तन हो जाता है इसे तरंग का अपवर्तन कहते हैं अपवर्तन में तरंग की आवृत्ति नहीं बदलती है | 

तरंग गति में ऊर्जा स्थानांतरण 
तरंग गति में निम्न तीन विशेषताएं होती हैं: -  
1 - माध्यम के कण अपनी मध्यमान स्थित के दोनों और कंपन करते हैं | 
२- कंपन करती हुई वस्तु द्वारा उत्पन्न विक्षोभ माध्यम  द्वारा आगे वाले कणों को स्थानांतरित हो जाती है | 
३- कम्पित वस्तु  द्वारा जो ऊर्जा माध्यम के कणों को दी जाती है वह लगातार आने वाले कणों को स्थानांतरित होती रहती है परंतु माध्यम अपने ही स्थान पर ज्यों का त्यों बना रहता है | 

डॉ वी के ओमर 

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