Thursday, 14 May 2020

रासायनिक बलगतिकी एवं रासायनिक साम्य

रासायनिक बलगतिकी एवं रासायनिक साम्य

 अभिक्रिया वेग से आप क्या समझते हो ?
 वह दर जिस पर समय के साथ अभिकारक पदार्थों का सांद्रण परिवर्तित होता है  अभिक्रिया का वेग कहलाता है

अभिक्रिया का वेग स्थिरांक क्या होता है  ?
किसी क्षण अभिक्रिया का वेग (dx/dt) उस क्षण  अधिकारिक पदार्थों के सांद्रण(C)  के समानुपाती होता है
dx/dt = k
 इस संबंध में प्रयुक्त होने वाले इस स्थिरांक k को वेग स्थिरांक  कहते हैं |
अतः  नियत ताप  पर अभिकारक पदार्थों के इकाई सांद्रण पर होने वाले अभिक्रिया वेग को  वेग स्थिरांक कहते हैं |

अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं उनका क्रिया के  वेग पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक निम्नलिखित हैं
सांद्रण गतिज  आण्विक सिद्धांत के अनुसार आणविक अभिक्रिया  अणुओं के परस्पर टकराने से होती है |           अभिकरकों का सान्द्रण   बढ़ाने से एकाई आयतन मैं अणुओं की संख्या मैं व्रद्धि होती है |जिसके फलस्वरूप इकाई समय में अणुओं के आपस में टकराने की संख्या भी बढ़ जाती है और इस प्रकार अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है |
ताप   ताप की वृद्धि से  सक्रिय अणुओं की वृद्धि हो जाती है जिसके कारण प्रभावी  टक्करों        की संख्या         मैं व्रद्धि  हो जाने के कारण अभिक्रिया  का वेग  बढ़ जाता है
किसी अभिक्रिया के दो तापू के बीच 10 डिग्री सेंटीग्रेड का अंतर होने पर   वेग स्थिरांक के अनुपातों को  वेग स्थिरांक  का ताप गुणांक का जाता है अधिकतर अभिक्रिया का ताप 10 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ने से इस तरह का मान 2 गुना 3 गुना हो जाता है|
 दाब  दाब बढ़ाए जाने से अणु निकट आ जाते हैं और इकाई आयतन में अभिकारक अणुओं का सांद्रण बढ़ जाता है जिसके कारण उनके  परस्पर अणुओं के टकराने की संख्या में वृद्धि हो जाती है जिसके फलस्वरूप अभिक्रिया का वेग भी बढ़ जाता है |
 भौतिक अवस्था  का प्रभाव अभिकारक पदार्थों की भौतिक अवस्था का प्रभाव विषमांग अभिक्रियाओं पर पड़ता है जैसे लकड़ी के लट्ठे की तुलना में लकड़ी का बुरादा तेजी के साथ जलता है अम्लों के साथ धातुओं की तुलना में दातुन अधिक तेजी से क्रिया करता है उत्प्रेरक का प्रभाव उत्प्रेरक रासायनिक अभिक्रिया की गति को प्रभावित करते हैं इनकी उपस्थिति से अभिक्रिया का वेग अधिक या कम हो जाता है

अभिक्रिया की आणविकता  से क्या समझते हो |
किसी  रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले अणुओं की कुल न्यूनतम संख्या को  आणविकता कहते हैं |
यदि अभिक्रिया में एक अणु  भाग ले रहा है तो उसे एक अणुक  और यदि दोअणु भाग ले रहे हैं तो उसे दो अणुक तथा यदि तीनों भाग ले रहे हैं तो उसे त्रि अणुक जाता है

अभिक्रिया की कोटि से आप क्या समझते हैं  ?
अभिकारक अणुओं की संख्या जिनका रासायनिक परिवर्तन के फल स्वरुप सांद्रण परिवर्तित हो जाता है अभिक्रिया की कोटि कहलाती है अथवा रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले अभिकारक अणु की कुल संख्या जो अभिक्रिया के वेग को निर्धारित करती है अभिक्रिया की कोटि है

प्रथम कोटि की अभिक्रिया से क्या समझते हैं  ?
प्रथम कोटि की अभिक्रिया में रासायनिक क्रिया के वेग को निर्धारित करने के लिए अभिकारक के केवल एक अणु का सान्द्रण  परिवर्तित होता है ऐसी अभिक्रिया में अभिक्रिया की प्रगति के लिए केवल एक अणु आवश्यक होता है |

उत्क्रमणीय अभिक्रिया किसे कहते हैं   ?
रासायनिक अभिक्रिया है जो अग्र तथा प्रतीक दोनों दिशाओं में होती हैं लेकिन किसी भी अवस्था में पूर्णता को नहीं पहुंचती हैं उत्क्रमणीय अभिक्रिया कहलाती हैं इन्हें उत्क्रमणइता(⇌) के चिन्ह से प्रदर्शित करते हैं

रासायनिक साम्य  से आप क्या समझते हैं  ?
उत्क्रमणीय अभिक्रिया की वह अवस्था जिसमें अभिकारक तथा उत्पाद पदार्थों का सांद्रण अपरिवर्तित रहता है रासायनिक साम्य कहलाती हैं |
साम्यावस्था के मुख्य लक्षण निम्न प्रकार होते हैं  :
1-अग्र तथा विपरीत दोनों अब क्रियाओं का वेग समान तथा विपरीत होता है |
2- दोनों अभिक्रियाएं पूर्ण रूप से होती हैं |
3- अभिकारक तथा उत्पाद की मात्राएं मिश्रण में स्थिर रहती हैं
4-  दाब ताप तथा सांद्रण के परिवर्तन पर साम्यावस्था में परिवर्तन हो सकता है
5- उत्प्रेरक का साम्यावस्था पर कोई प्रभाव नहीं होता है यह केवल साम्य  को जल्दी या देर में ला सकता है |
6-साम्यावस्था गतिक होती है अर्थात इस अवस्था पर अभिक्रिया का होना रुकता  नहीं है |

सक्रिय द्रव्यमान किसे कहते हैं ?
 किसी पदार्थ के आणविक सांद्रण को उस पदार्थ का सक्रिय द्रव्यमान कहा जाता है दूसरे शब्दों में किसी पदार्थ के इकाई आयतन में उपस्थित ग्रामों की संख्या को उसका सक्रिय द्रव्यमान कहते हैं इसे [ ] से व्यक्त करते हैं जैसे कि हाइड्रोजन की सक्रिय मात्रा या                 सक्रिय द्रव्यमान [ H2 ]    से       प्रकट करते हैं |                                                   
 वेग स्थिरांक के विषय में कुछ मुख्य तथ्य बताइए |
वेग स्थिरांक  का मान अभिकारक को या उत्पादों की सांद्रता और दाब पर निर्भर नहीं करता है
वेग स्थिरांक का मान उत्प्रेरक की उपस्थिति और अभिक्रिया के ताप पर निर्भर करता है | उत्प्रेरक की उपस्थिति में अभिक्रिया का ताप बढ़ाने से वेग स्थिरांक का मान बदल जाता है इसमें वृद्धि होती है |

द्रव्य अनुपाती क्रिया के नियम को स्पष्ट कीजिए अथवा वेग स्थिरांक और साम्य स्थिरांक  में अंतर स्पष्ट कीजिए |
नार्वे के दो वैज्ञानिकों गुल्डबर्ग तथा वागे 1867 ईस्वी में परिमाणात्मक परीक्षणों के आधार पर एक नियम प्रस्तुत किया जिसे द्रव्य अनुपाती क्रिया का नियम कहा गया इस नियम के अनुसार
स्थिर ताप पर किसी पदार्थ की क्रिया की गति उसके सक्रिय द्रव्यमान के समानुपाती होती है तथा किसी रासायनिक अभिक्रिया की गति अभिकारक पदार्थों के सक्रिय द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती होती है
 वेग स्थिरांक  अभिकारक पदार्थों की इकाई सांद्रण पर होने वाली अभिक्रिया गति को कहते हैं जबकि साम्य स्थिरांक (Kc)     दोनों   वेग स्थिरांक अग्र (k1), पश्च (k2)  के अनुपात को कहते हैं |

लाशातालिए के सिद्धांत को स्पष्ट कीजिए |
लाशतालिए  तथा ब्रोन ने भौतिक एवं रासायनिक दोनों प्रकार के साम्यों के लिए एक सिद्धांत का प्रतिपादन किया जिससे  लाशतालिए  का नियम कहते हैं इस नियम के अनुसार
यदि  साम्य में किसी उत्क्रमणीय अभिक्रिया पर ताप, दाब , सांद्रण का परिवर्तन किया जाए तो साम्य  उस दिशा में परिवर्तित होगा जिससे किए गए परिवर्तन का प्रभाव दूर हो सके
1- इस प्रकार यदि ताप वृद्धि की गई हो तो अभिक्रिया उस दिशा में बढ़ती है जिससे ऊष्मा का शोषण हो
2- यदि दाब वृद्धि की गई हो तो अभिक्रिया उस दिशा में बढ़ती है जिससे आयतन कम हो
3- यदि पदार्थ का सांद्रण बढ़ाया गया है तो अभिक्रिया उस दिशा में बढ़ती है जिससे उस पदार्थ का सांद्रण कम हो

 उष्मीय वियोजन से क्या समझते हो ?
 पदार्थों में ऊष्मा द्वारा उत्क्रमणीय वियोजन को उष्मीय वियोजन कहा जाता है

उष्मीय अपघटन से क्या समझते हो ?
कुछ पदार्थ गर्म किए जाने पर दो या दो से अधिक अणुओं में विभाजित हो जाते हैं परंतु ताप  या दाब परिवर्तित करने पर फिर से मूल योगिक नहीं बनाते हैं इस अभिक्रिया को उष्मीय अपघटन कहते हैं |

वियोजन की मात्रा से आप क्या समझते हैं ? 
साम्यावस्था में किसी पदार्थ के कुल अणुओं का वह अंश जो   वियोजित होता है पदार्थ की वियोजन की मात्रा कहलाता है अर्थात
वियोजन की मात्रा =  वियोजित अणुओं की संख्या /वियोजिन से पूर्व कुल अणुओं की संख्या



डॉ वी के ओमर 
9450149685 

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